श्री फाटक नेशनल सेंटर फॉर सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी (एन सी एस टी) में प्रशासन के प्रमुख थे । इस केंद्र की स्थापना 1984-85 में हुई थी। नए केंद्र की सफलता में उनके काम का बड़ा योगदान रहा।
मैं उन्हें १९६४ से जानता था, जब मैं आई आई टी, बॉम्बे में छात्र था
। वह डिप्टी रजिस्ट्रार था, डिप्टी डायरेक्टर प्रो एन आर कामत के साथ काम करते थे ।
मैं नियमित रूप से टी आई एफ आर जाता था। मैं वहां अपना एम टेक प्रोजेक्ट कर रहा था
। एक दिन श्री फाटक ने मुझे बताया कि वह कंप्यूटर ग्रुप टी आई एफ आर में नौकरी के लिए
आवेदन कर रहा है। मैं बहुत खुश हुआ; मैं एक अनुसंधान सहयोगी के रूप में टी आई एफ आर
ग्रुप में शामिल होने के लिए चुना गया था । श्री फाटक ने टी आई एफ आर कंप्यूटर ग्रुप
में प्रशासन का कार्यभार संभाला।
विदेशी मुद्रा की कमी के कारण उस समय भारत में बड़े कंप्यूटर बहुत कम
थे। कंप्यूटर ग्रुप ने टी आई एफ आर की जरूरतों को पूरा किया । यह आगे बढ़ गयी और राष्ट्रीय
संसाधनों के रूप में अपने कंप्यूटर उपलब्ध करने लगी। सैकड़ों संस्थानों के पास इन कंप्यूटरों
की पहुंच थी । इनमें ज्यादातर विश्वविद्यालय और आर एंड डी इकाइयां थीं। हजारों शिक्षाविदों
और पेशेवरों ने कंप्यूटर ग्रुप द्वारा पेश किए गए पाठ्यक्रमों में भाग लिया ।
कंप्यूटर ग्रुप के अंदर विभिन्न अनुभाग थे: कंप्यूटर ग्राफिक्स, डेटाबेस
प्रबंधन, कंप्यूटर नेटवर्क, ऑपरेटिंग सिस्टम और प्रोग्रामिंग भाषाएं। कंप्यूटर सेंटर
एंड सर्विसेज अनुभाग ने कंप्यूटर का प्रबंधन किया और कई मूल्यवान पाठ्यक्रम सिखाए ।
प्रशासन ने काफी जिम्मेदारी को अंजाम दिया। श्री फाटक ने सभी के प्रति
शिष्टाचार और विनम्रता के साथ जिम्मेदारी संभाली । उसके व्यवहार में अहंकार का कोई
निशान नहीं था।
टी आई एफ आर ने कंप्यूटर ग्रुप को स्वायत्त बनाने का फैसला किया। इसका
नाम बदलकर नेशनल सेंटर फॉर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट एंड कंप्यूटिंग टेक्निक्स (एन सी एस
डी सी टी) कर दिया गया। इससे गतिविधियों में काफी वृद्धि हुई । कई साल बाद, एक नई प्रयोगशाला
बनाई गई: नेशनल सेंटर फॉर सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी। एन सी एस डी सी टी के अधिकांश सदस्य
एन सी एस टी में स्थानांतरित हो गए । श्री फाटक ने इस सब में योगदान दिया, और १९८५
में हमारे साथ एन सी एस टी में चले आए।
सॉफ्टवेयर उद्योग भारत में बहुत तेज़ी से बढ़ रहा था। एन सी एस टी ने
अपनी आर एंड डी गतिविधियों का विस्तार करते हुए जवाब दिया । इसने पोस्ट ग्रेजुएट स्तर
पर अपनी शिक्षण गतिविधि में वृद्धि की । इसने देश के अकादमिक नेटवर्क ई आर नेट के निर्माण
और विकास में भी बड़ी भूमिका निभाई । इस सभी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए एक उत्कृष्ट
प्रशासन अनुभाग की जरूरत थी ।
श्री फाटक एन सी एस टी के प्रशासन प्रमुख थे और अपनी ईमानदारी और कड़ी
मेहनत के लिए जाने जाते थे । कर्मचारियों को प्रशासन की निष्पक्षता और जवाबदेही पर
भरोसा था । दशकों के काम के बाद उन्होंने 1990 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली, जब
उनकी उम्र साठ के करीब थी।
अमेरिका के एक कंप्यूटर वैज्ञानिक डॉ रुवेन ब्रुक्स ने एक साल टी आई
एफ आर की छोटी यात्रा की थी । उन्होंने मुझे बताया कि कई वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं हैं,
लेकिन उन सभी को एक अच्छे प्रशासन का लाभ नहीं है । वह टी आई एफ आर में प्रशासन से
प्रभावित था ।
डॉ होमी भाभा ने टी आई एफ आर में एक सहायक और उत्तरदायी प्रशासनिक संस्कृति
बनाई थी । उनके बाद आए अन्य निर्देशकों ने इस संस्कृति का पालन जारी रखा.। श्री फाटक
ने एन सी एस टी में इसी तरह की संस्कृति के निर्माण के लिये हमारे प्रयास में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई थी ।
श्रीनिवासन रमणि
हिंदी संपादक: श्री एम वी रोहरा
19-जून-2021
The English version follows:
Shri Ganesh N. Phatak (1931-2021)
Shri Phatak was the Head of
Administration at the National Centre
for Software Technology (N C S T) . The Centre had been established in
1984-85. His work was a major
contribution to the success of the new Centre.
I had known him from 1964, when I was a
student at I I T, Bombay. He was a Deputy Registrar, working with the Deputy
Director Prof N R Kamat. I was going to T I F R regularly. I was doing my M
Tech project there.
One day Shri Phatak told me that he was
applying for a job in the Computer Group, T I F R. I was delighted; I had been selected to join
that group as a research associate. Shri Phatak took charge of administration
in the T I F R Computer Group.
Big computers were very few in India at that
time because of foreign exchange shortage. The Computer Group served the needs
of T I F R . It went further and made available its computers as national resources. Hundreds of
institutions had access to these computers. These were
mostly universities and R & D units. Thousands of academics and
professionals attended courses offered by the Group.
There were different sections
inside the computer group: computer graphics, database management, computer
networks, operating systems, and programming languages. The computer centre &
services team managed the computers and taught many valuable courses.
The administrative team carried a lot of
responsibility. Shri Phatak carried the responsibility with courtesy &
politeness to everyone. There was no trace of ego in his behavior.
The department became an autonomous unit named
National Centre for Software Development and Computing Techniques (N C S D C T ).
This enabled considerable growth in activities. Several years later, a new lab
was created: the National Centre for Software Technology. The
majority of members of N C S D C T shifted
to N C S T. Shri Phatak contributed to all this, and moved with us to the N C S
T in 1985.
The Software Industry was growing very fast in
India. N C S T responded by expanding its R & D activity. It increased its
teaching activity at the “post-graduate”
level. It also played a big role in the
creation and development of the nation’s academic network, ERNET. An excellent administrative
team was needed to support all this activity.
Dr Homi Bhabha had created a supportive and
responsive administrative culture at TIFR. The other directors who followed him
continued to nurture this culture. Shri Phatak had played a significant role in our
attempt to build a similar culture at N C S T.
Srinivasan Ramani
Hindi Editor: Shri M V Rohra
20-June-2021
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